प्लीज पोस्ट को जरूर पढ़ीयेगा चाहे लाईक करे ya ना करे-:
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अपने देश में इतने अनैतिक और यौन अपराध
क्यों हो रहे है??
....जब किसी व्यक्ति से पूछा जाता है कि अपने
बच्चे को क्या बनाओगे??
तो जवाब मिलता है-ः
डॉक्टर,इंजिनियर,मैनेजर,पुलिस,वकिल
इत्यादि आदि आदि बनायेंगे।
...मगर कोई नहीं कहता कि अपने बच्चे को ''उच्च
संस्कारवान'' बनायेंगे।
...कोई नहीं कहता ये।
आजकल बाजारवाद का प्रोफेशनल युग
ऐसा कि तिसरी कक्षा से कम्प्यूटर और अंग्रेजी पे
ध्यान देना चालू।
नैतिक शिक्षा का कोर्स गया भाड़ मेँ...
...मोरल साईंस कि किताबे अब मिलती है कबाड़ में।
मुझे याद है मोरल साईंस का ही प्रभाव था कि टीचर
के पैर छू कर प्रणाम करने कि आदत आज भी बनी है
मुझमें।
आजकल मेट्रो सीटीज कि फास्ट लाईफ में बस
हाय,बाय,गुड मॉर्निंग।
जब खेत में बीज धान कि डालेंगे
...तो गेंहू कहाँ से उपजायेंगे???
जब शिक्षा बाजारवाद के लिये देंगे
....तो नैतिकता कहाँ से लायेंगे??
....नैतिकता कहाँ से लायेंगे???
...और कहेंगे स्साला! जमाना खराब है....
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अपने देश में इतने अनैतिक और यौन अपराध
क्यों हो रहे है??
....जब किसी व्यक्ति से पूछा जाता है कि अपने
बच्चे को क्या बनाओगे??
तो जवाब मिलता है-ः
डॉक्टर,इंजिनियर,मैनेजर,पुलिस,वकिल
इत्यादि आदि आदि बनायेंगे।
...मगर कोई नहीं कहता कि अपने बच्चे को ''उच्च
संस्कारवान'' बनायेंगे।
...कोई नहीं कहता ये।
आजकल बाजारवाद का प्रोफेशनल युग
ऐसा कि तिसरी कक्षा से कम्प्यूटर और अंग्रेजी पे
ध्यान देना चालू।
नैतिक शिक्षा का कोर्स गया भाड़ मेँ...
...मोरल साईंस कि किताबे अब मिलती है कबाड़ में।
मुझे याद है मोरल साईंस का ही प्रभाव था कि टीचर
के पैर छू कर प्रणाम करने कि आदत आज भी बनी है
मुझमें।
आजकल मेट्रो सीटीज कि फास्ट लाईफ में बस
हाय,बाय,गुड मॉर्निंग।
जब खेत में बीज धान कि डालेंगे
...तो गेंहू कहाँ से उपजायेंगे???
जब शिक्षा बाजारवाद के लिये देंगे
....तो नैतिकता कहाँ से लायेंगे??
....नैतिकता कहाँ से लायेंगे???
...और कहेंगे स्साला! जमाना खराब है....
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